Hindi Story. जादुई अंगूठी का रहस्य।

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जादुई अंगूठी का रहस्य। Hindi Story. 

जादुई अंगूठी का रहस्य। Hindi Story. बहुत समय पहले की बात है चन्द्र नगर में एक राजा राज्य करता था। राजा अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। वह अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए रोज़ाना रात के समय में अपना वेशभूषा बदलकर घूमने के लिए बिना किसी को बताये निकल जाया करते थे।

Hindi Story. जादुई अंगूठी का रहस्य।

एक दिन राजा प्रातः अपने महल की ओर वापस लौट रहे थे तभी उनकी नजर एक बरगद के पेड़ के पास पड़ी जहां पर कई सारे बच्चे मिलकर एक छोटे से सांप के बच्चे को लकड़ी से मार रहे थे।
राजा ने सभी बच्चों को डांटकर भगा दिया और छोटे से सांप को बचा लिया।

सांप के माता पिता जो की उसी समय खेतों से होते हुए अपने बिल पर आए, सांप के बच्चे ने अपने माता पिता को दयालु राजा की सारी बात बताई। सांप के पिता अपने बिल मे गए और वहाँ से एक अंगूठी लेकर राजा की और बढ़ा दिया।

असल मे वह एक जादुई अंगूठी थी, वह अंगूठी जिस भी व्यकित के पास होती वह सभी जानवरो की भाषा को आसानी से समझ सकता था। यह अंगूठी साँप के पिता की ओर से उसके बच्चे की जान बचाने के लिए राजा को भेट सवरूप अपने बिल के बाहर रख कर अपने बिल मे सभी साँप चले गए।

राजा यह सभी देख रहा था उन्हे भी यह समझते देर नहीं लगी की साँप के पिता ने उन्हे यह अंगूठी साँप के बच्चे को बचाने के लिए प्रसन्नता से दी गई है। राजा ने अंगूठी को अपनी उंगली मे पहन लिया और अपने राज्य मे लौटने लगे।

राजा को अपने राज्य लौटते समय काफी आवाज़े आने लगी जेसे कोई किसी से बात कर रहा है। कई तरह की आवाज़े आने लगी। राजा अब काफी परेशान होने लगा की ये मेरे आस-पास कई बात करने की आवाज तो आ रही है परंतु कोई दिख नहीं रहा है।

इसी परेशानी के साथ वह एक संत की कुटिया के पास से गुजरे। उन्होने उन संत को रुक कर अपनी सारी परेशानी बताई और साथ ही साँप और उसकी अंगूठी की बात भी संत को बताई। संत जो की एक बहुत बड़े ज्ञानी थे।

उन्होने राजा की उंगली मे वह अंगूठी देखी और तुरंत समझ गए की उन्हे साँप देवता की ओर से अनोखा आशीर्वाद मिला है। उन्होने राजा को अंगूठी की बात बताई की जो भी व्यकित इस अंगूठी को पहनेगा वह इस दुनिया के सभी जीवो, पशु, पक्षियो की भाषा को समझ सकता है।

परंतु इसके साथ एक बड़ी समस्या यह है की यदि राजा यह बात किसी को भी बताएगा तो राजा की मृत्यु निश्चित है। राजा इस बात को सुनकर खुश हुए और थोड़े से निराश। राजा ने संत को धन्यवाद देकर वह जल्द ही अपने राज्य की ओर निकाल गए।

एक बार राजा अपने राज्य के सभी जरूरी काम को पूरा करने के पश्चात अपनी प्रिय रानी के साथ उद्यान में बैठे हुए आनन्द के साथ कुछ मीठा खा रहे थे। तभी मीठे का एक छोटा सा टुकड़ा नीचे घास में गिर गया और उतने में ही बहुत सारी छोटी-छोटी चींटियां वहां आ गई।

वे सभी बहुत खुशी से चिल्लाने लगी। राजा ने उनमें से एक चींटी को दूसरी चींटी के साथ कहते हुए सुना कि बहन यह मिठाई का टुकड़ा तो बहुत बड़ा है जो एक पूरी बैल-गाड़ी में भी शायद नहीं आ सकता है। राजा को चींटी की बात सुनकर बहुत जोर से हंसी आई।

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राजा को हंसते हुए देखकर रानी को लगा कि राजा उसका उपहास कर रहे हैं लेकिन फिर भी रानी ने राजा से हंसने का कारण जानना चाहा परन्तु राजा ने रानी की बात को टाल दिया। एक दिन रानी ने जिद्द करली कि वह राजा से हंसने का कारण जरूर पूछेगी।

अंत में राजा को रानी की बात माननी पड़ी। राजा ने कहा कि यदि वह इस बारे में किसी से भी बात करेगा तो उसकी मृत्यु निश्चित है, लेकिन रानी फिर भी अपनी जिद्द पर अड़ी रही, अंत में राजा ने कहा की वह रानी को अगले दिन सुबह उसी उद्यान में अपने हंसने का कारण बता देगा।

अगले दिन राजा अपने मंत्रिगणों के साथ उसी उद्यान की ओर जाने लगा तो रास्ते में उन्होने देखा की एक गधा और एक कुत्ता आपस में बातचीत कर रहे थे।

राजा जब उनके नजदीक से निकले तब राजा ने सुना कि कुत्ता गधे से कह रहा है कि तुम सभी प्राणियों में मूर्ख हो लेकिन यहां का राजा तो तुमसे भी बड़ा मूर्ख है। कुत्ते की बात सुनकर राजा को बहुत क्रोध आया और हैरानी भी हुई।

राजा ने अपना काफिला रुकवाया। वह कुत्ते को फल खिलाने के बहाने कुत्ते के पास गए और कुत्ते से पूछा कि वह सबसे बड़ा मूर्ख क्यों है। कुत्ते ने राजा को देखा और माफी मांगी परंतु राजा ने कहा आप अपनी बात को पूरा करे, मे आपको कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।

राजा की बात सुनकर कुत्ते ने कहा कि आप आज अपना जीवन एक स्त्री के कहने पर बलिदान देने के लिये जा रहे हो परन्तु आपकी मृत्यु के पश्चात जब रानी आपकी सभी सम्पत्ति की उत्तराधिकारी बन जायेगी और किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाह करके अपना खुशहाल जीवन बितायेगी, तब क्या तुम खुश रहोगे।

कुत्ते की बात सुनकर राजा एकदम आश्चर्य हो गया और उसे अपनी गलती का भी अहसास हो गया। जब राजा उद्यान में पहुंचा तब उसने रानी से कहा कि मेरे हंसने का कारण जानने के बाद मेरी मृत्यु तो निश्चित है लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरी एक शर्त माननी होगी, तुम्हें 50 कोड़े खाने होंगे। Hindi Story.

रानी को लगा कि राजा उसके साथ हंसी-ठिठोली करेगा और झूठ-मूठ में ही कोड़े मारेगा। यह सोचकर रानी ने राजा की शर्त को स्वीकार कर लिया। तब राजा ने अपने एक सेवक को बुलाया और अपनी रानी पर पूरी ताकत के साथ कौडे़ मारने के लिए कहा।

सेवक ने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी पूरी ताकत से रानी पर कोड़े से मारा। कोड़े की पहली चोट से रानी दर्द से एकदम चीख उठी ” आह ! उसने रोते हुए राजा से मना कर दिया कि उसे किसी भी तरह का कोई हंसने का कारण नहीं जानना हैं।

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Hindi Story. राजा ने रानी की बात पर ध्यान न देकर अपने सेवक से कहा कि वह अपनी पूरी ताकत से रानी पर कोड़े मारे क्योंकि उसे अपने पति की मृत्यु स्वीकार थी लेकिन कोड़े की चोट नहीं। सेवक जैसे ही रानी पर कोड़े मारने जा रहा था तभी राजा के मंत्री ने सेवक को रोक दिया और राजा से कहा कि आप रानी को क्षमा कर दें।

राजा अपने मंत्री को बहुत मानता था और मंत्री के आग्रह करने पर राजा ने रानी को क्षमा तो कर दिया लेकिन अपने जीवन में कभी रानी को मान-सम्मान नहीं दिया।

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