चंपकवन नाम के एक घने जंगल में एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे। उन दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी। दोनों साथ में खेलते, खाना खाते, साथ में पढ़ते और एक दूसरे के सुख-दुख में हमेशा एक दूसरे का साथ निभाते। Kachua and Khargosh Story in Hindi.
जंगल के सारे पशु-पक्षी उनकी दोस्ती की मिसाल देते थे। खरगोश को हमेशा तेज दौड़ने का अभिमान रहता था। वह हर किसी प्राणी को अपनी तेज दौड़ने की शेख़ी बघारता था। खरगोश के विपरीत कछुआ जंगल का सबसे धीरे चलने वाला प्राणी है।
एक दिन कछुआ और खरगोश दोनों में बीच मे किसी बात को लेकर झगड़ा होने लगा और बात उनकी काबिलियत की आने लगी। उसी समय खरगोश ने कछुए को रेस के लिए चुनौती दे दी।
कछुए ने खरगोश की चुनौती को स्वीकार कर लिया। जब जंगल के सभी जानवरों को कछुआ और खरगोश दोनों की इस चुनौती के बारे में पता चला तो सभी जानवरों को बहुत हैरानी हुई। सभी इस रेस को देखने के लिए आने लगे।
कछुआ और खरगोश की रेस। Kachua and Khargosh Story in Hindi.
इस रेस को शुरू करने के लिए हिरण ने पहले ही दोनों को बताया कि जो भी जंगल का एक चक्कर लगाकर वहीं वापस आयेगा जहां से रेस शुरू हुई थी, उसी को ही विजेता माना जायेगा। रेस शुरू हुई और खरगोश अपनी तेज चाल की वजह से बहुत आगे निकल गया।
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खरगोश ने जब पीछे मुड़कर देखा तो कछुआ दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा था। तब खरगोश ने सोचा कि कछुआ अभी बहुत दूर है क्यों न थोड़ी देर खा-पीकर आराम कर लिया जाये। इस प्रकार सोचकर खरगोश पास में एक पेड़ के पास कंद-मूंद फल खाकर पेड़ की छाव मे आराम करने लग गया।

जल्द ही खरगोश को बहुत गहरी नींद आ गई और इधर कछुआ अपनी धीरे-धीरे चाल की वजह से जल्द ही खरगोश से आगे निकल गया और रेस को जीत ली।
कछुए के रेस जीतने पर सभी जानवरों ने मिलकर खुशी से चिल्लाने लगे और जब खरगोश की नींद खुली तब तक रेस खत्म हो चुकी थी। इस तरह कछुए ने खरगोश को हराकर उसका घमंड चूर-चूर कर लिया।